
एहसास क्या है, इक धारा के सागर से मिलने का,
इक बूंद ओस के पत्तियों से गिरने का,
इक तारे का आस्मान से टूटने का,
या फ़िर, इक शब्द के अपने अर्थ से बिछड़ने का.....एहसास!
आज, अभी, इसी पल, शांत हो जाओ, सोचो,
महसूस करो,
ज़िंदगी में करने को तो बहुत कुछ है,
पर क्या कभी इस जद्दोजहद में ये एहसास हुआ है
कि ,क्या होता होगा....
औरों वास्ते मरने पर
जन्नत कि उचैयाँ चरने पर
या फ़िर roshni के लिए दिए से ladne पर ।
सोचो, और महसूस करो!
सच हवा नही , जो rukti नही, बस bahti है,
सच baarish नही ,जो thamti नही, बस barasti है,
सच nadiya नही ,जो mudti nahi, बस chalti है,
सच इक सागर है, एक अचल, avinashiya सागर,
जिसमे हर cheez samaa jati है ,chalti है, बदलती है,
पर वह,
....वह सिर्फ़ महसूस करता है ,सोचता है!
तो aao, हम भी इस सागर से मिले, सोचे ,
kyunki, इस duniya में वक्त बहुत है, बस उसका एहसास नही!!
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